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November 14, 2019

काश


मेरे  हर पल का हिसाब रखने वाले,

काश तुमने मेरा भी ख़याल रखा होता 

आईने के सामने के मेरे वक़्त को गिनने वाले,
मर्दो से भरे इस जहान में हर रोज जो लड़ाईया मैं  लड़ती हूँ उनको भी गिना होता 

मेरी आँखो में जो काजल मैं भरती हूँ 
उसकी जग़ह जो ग़म मैं उनमे छुपाती हूँ उसे देखा होता  

मेरी परेशानियों और थकान को भूलकर एक पल भी बैठे बीना 
घऱ में घुसते ही जो काम पे लग जाती हूँ उसे भी देखा होता 

तुमसे ज्यादा करने के बाद भी तुमसे बराबर होने के लिए 

जो मैं रोज घर के बाहर जाती हूँ  उसे भी देखा होता 

मेरी चुप्पी को गुरुर समझने के पहले 

उसके पीछे जो निराशा हैं उसे देखा होता 

औरत को नर्म होना है  बचपन से ये सीखा तुमने 

पर उसके सख्त होने की वज़ह  को अगर जाना होता 

जानती हूँ करली उम्मीद मैंने ज्यादा की 

काश मेरे जिस्म की जग़ह रूह को छू पते तुम 

मेरी खूबियों को बेशक न देखना तुम कभी,

कमियों के आगे बढ़ कर काश मुझे देख पाते तुम 


April 9, 2019

जिंदगी

जिंदगी तु बस  इतना  बता  की  तु चाहतीं क्या है....
क्या भीड़  में  भी तनहाई तेरी  जरूरत हैं|

अपनो के  नाम  पे  तुघे परछाई  तक बर्दाश्त नहीं....
अंधेरो  से इश्क़ करना  हीं  तेरी फितरत  है ?

जो मिलता  नहीं उसके  पीछे  दौड़ी  चली  जा  रही  है....
जो पास  है उसे  भूल  जाना  तेरी आदत है ?

तू खिचेगी  मुझे  या मैं  तुझको  थामूंगी, ये  फैसला  मेरा  होगा  तेरे  मशवरे की न मुझे जरुरत है  ....

मैं धुंडु  रौशनी या खुद  सवेरा  बन  जाऊ  ...ये मेरी  चाह  है तेरी राह  नहीं |

अपनी  खुशियों  में खिल  जाऊ या जल  के रौशन  उनको  कर  जाऊ ...अब  बस यही  सवाल  है, शिकायत  कोई  नहीं !



July 6, 2018

प्यार


जो माँ से मिला, पापा ने दिया
क्या वो है प्यार ?

जो भाई को दिया, बहना से लिया
या वो है प्यार ?

जो दोस्तों और यारो से मिला,
या जो स्कूल की दीवारों पे लिखा
कौन सा है ये प्यार ?

जिसे देख के धड़कन थम सी गई,
या जिससे मिल के मुस्कराहट न रुकी
क्या वही था प्यार ?

जिसको सोच के रात भर मुस्कुराये,
या जिसके गम में दिन रात आंसू बहाये
कौन सा है ये प्यार ?

जो सर्दियों की सुबह को टिफ़िन में भरा,
जो आधी रात तुम्हारे लिए ड्राइव कर के गया
वो नहीं होता प्यार ?

उसके पास न हो कर भी साथ हो,
इसके साथ रह के भी दूर
ये कौन सा है प्यार ?

प्यार पवित्र है, गहरा है, है सीमाओं से परे,
पर क्या चीज है ये, क्या ये किसी के पल्ले पड़े ?

ये है इक ऐसी मृगतृष्णा जो तुम्हे दूर-दूर दौड़ाए,
और तेरे अंदर जो प्यार है उसे तू ढूंढ ही ना पाये
ये बाला है, मुसीबत है, तबाही है समझो,
फिर भी पूरी दुनिया प्यार की ही रट लगाए !!




April 13, 2013

दुआ सलाम


आज  फिर याद आये तुम, आखो में नमी लाये तुम ....
आज फिर याद आई तुम्हारी बातें, वो बेचैन सुबहें और लम्बी राते।

वो तुम्हारी शैतानिय, वो किस्से वो कहानिया ....
वो झूठमुठ का तुम्हारा गुस्सा और सचमुच का प्यार।
बेफिजूल की वो बाते और छोटी बातो पर तकरार।
वो तुम्हारा रूठना, वो मेरा मनाना ....
ये आखरी बार हैं कहना और फिर वही दुहराना।

सब याद आया, आखों में नमी लाया।
भरी हैं मेरी आखे पर होठो पर हैं मुस्कान,
ये आसू गम के हैं या ख़ुशी के सोच कर हूँ मैं परेशान।

खैर छोड़ो ये सारी बाते, तुम अपना रखना ध्यान ....
खुशियों का घर बनाना हँसी का हाथ थाम।

जिंदगी ना रुकी है ना रुकेगी कभी, लॊग आयेगे - जायेगे ये चलेगी युहीं।

हो सके तो करना हम पर ईतना ऎह्सान ....
जब भी टकराए हमारी रहे, मुस्कुरा कर करना दुआ सलाम।




September 9, 2011

साथ



वहीं मैं हूँ, वहीं तुम हो
ना जाने अब कहा गुम हो |
साथ हो कर भी साथ रहते नहीं,
क्या मुझसे अब नाराज तुम हो ?

प्यारा था वो कल, साथ था हर पल
दूर रह कर भी पास थें पल पल |
आज हो तुम मेरे साथ, पर मेरे नहीं
ये मकां है तुम्हारा, हमारा बसेरा नहीं |

जिन्दगी की दौड़ में निकल गए इतने आगे,
की लौट कर आना तुमको गवारा नहीं |
साथ रह कर भी साथ चल ना पाए जो,
तो साथ रहना है मकसद मेरा भी नहीं |

चलो ढूंढे राहे अलादा अलादा,
इस बोझ को ढोना मुझको गवारा नहीं |
खुश रहो तुम जहाँ रहो प्यार से,
अब ज़िंदगी पर मेरी हक़ तुम्हारा नहीं |

वहीं मैं हूँ, वहीं तुम हो
पर मैं तुम्हारी नहीं, ना मेरे तुम हो |


PS: you can also listen to this poem on merasangeet.com (online radio) or on youtube.

June 23, 2011

मैं ऐसी क्यों हूँ ?


क्या हूँ मैं सबसे अलग, या ये मेरी समझ का दोष है ?
क्यों वो चीजें मुझे ना भये, जो दुसरो के लिए मौज़ है ?


हँस देती हूँ मैं तब, जब माहौल बड़ा संगीन हो |
जोर से रोने का दिल करता, जब सबकी शाम रंगीन हो |


अपनी हीं दुनिया में रहना मुझ को ज्यादा भाता है |
फिर भी कभी-कभी ये सवाल मेरे मन में आता है,
                          मैं ऐसी क्यों हूँ ?


कभी एक बच्चे की तरह मैं मचलू जाने को चाँद पर |
कभी मैं बस सो जाना चाहूँ सारी दुनिया को भूल कर |

हूँ मैं कौन, क्या मैं चाहूँ, मैं भी समझ नहीं पाती |
कभी मैं जिन चीजों पे रूठू, कभी उन्ही पे हँस जाती |


बड़ी बड़ी बातों को भूल, छोटी बातों पे लडती हूँ |
अजब्-गजब् हरकते मेरी, ना  जाने मैं ऐसी क्यों हूँ ?


खुद को जान लिया जिसने वो जग में सबसे ज्ञानी है |
मैं ऐसी क्यों हूँ, ये गुत्थी मुझ को भी सुलझानी है |

 

December 4, 2010

अगर मैं होती परी


 
अगर मैं होती परी, तो दूर आसमान में कही उड़ जाती |
अगर
मैं होती परी, तो इन्द्रधनुष के रंग तेरी जिन्दगी में ले आती |
अगर
मैं होती परी, तो दुनिया में प्यार भर पाती |
अगर
मैं होती परी, तो तेरे सारे दर्द हर जाती |

पर
हूँ मैं इक आम लड़की, जिसके पास नहीं कोई  जादु की छड़ी |
एक
सच्चा दिल है, और होठो पे है मुस्कान बड़ी |
करूंगी
 कोशिश की ये मुस्कान तेरे होठो पे भी लाऊ ,
तुझे
जीने का एक ढंग नया सिखलाऊ |

बनायेंगे
 मिल के हम इस दुनिया को जन्नत,
फिर
पुछेगा कोई बच्चा "माँ, कब आएगी परी?"

अगर मैं होती परी......... 



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