आज फिर याद आये तुम, आखो में नमी लाये तुम ....
आज फिर याद आई तुम्हारी बातें, वो बेचैन सुबहें और लम्बी राते।
वो तुम्हारी शैतानिय, वो किस्से वो कहानिया ....
वो झूठमुठ का तुम्हारा गुस्सा और सचमुच का प्यार।
बेफिजूल की वो बाते और छोटी बातो पर तकरार।
वो तुम्हारा रूठना, वो मेरा मनाना ....
ये आखरी बार हैं कहना और फिर वही दुहराना।
सब याद आया, आखों में नमी लाया।
भरी हैं मेरी आखे पर होठो पर हैं मुस्कान,
ये आसू गम के हैं या ख़ुशी के सोच कर हूँ मैं परेशान।
खैर छोड़ो ये सारी बाते, तुम अपना रखना ध्यान ....
खुशियों का घर बनाना हँसी का हाथ थाम।
जिंदगी ना रुकी है ना रुकेगी कभी, लॊग आयेगे - जायेगे ये चलेगी युहीं।
हो सके तो करना हम पर ईतना ऎह्सान ....
जब भी टकराए हमारी रहे, मुस्कुरा कर करना दुआ सलाम।
5 comments:
Lovely poem this Sweta.
जब भी टकराए हमारी रहे, मुस्कुरा कर करना दुआ सलाम
beautifully concluded.
bahut khoob,teesri line mein kisse ko aapne kiss likh diya hai
Thanks Deepak
Thanks Cifar shayar... correction done :)
wonderfully composed Sweta:) every word seems to be handpicked and woven together beautifully...
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