April 9, 2019

जिंदगी

जिंदगी तु बस  इतना  बता  की  तु चाहतीं क्या है....
क्या भीड़  में  भी तनहाई तेरी  जरूरत हैं|

अपनो के  नाम  पे  तुघे परछाई  तक बर्दाश्त नहीं....
अंधेरो  से इश्क़ करना  हीं  तेरी फितरत  है ?

जो मिलता  नहीं उसके  पीछे  दौड़ी  चली  जा  रही  है....
जो पास  है उसे  भूल  जाना  तेरी आदत है ?

तू खिचेगी  मुझे  या मैं  तुझको  थामूंगी, ये  फैसला  मेरा  होगा  तेरे  मशवरे की न मुझे जरुरत है  ....

मैं धुंडु  रौशनी या खुद  सवेरा  बन  जाऊ  ...ये मेरी  चाह  है तेरी राह  नहीं |

अपनी  खुशियों  में खिल  जाऊ या जल  के रौशन  उनको  कर  जाऊ ...अब  बस यही  सवाल  है, शिकायत  कोई  नहीं !



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